जीवन में चाहिए गति भी और प्रगति भी – आचार्य विनोद जी
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By Admin
Published - 21 April 2025 16 views
गति है चलना, प्रगति है संवरना; दोषों से बचकर गुणों की ओर बढ़ना ही सच्चा जीवन है
स्वतंत्र पत्रकार विजन
स्वयं शाही
गोरखपुर
ग्राम पंचायत मलांव में श्री कौस्तुभ नारायण सेवक पाण्डेय जी के सत्प्रयास से आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के भव्य आयोजन में सुप्रसिद्ध कथा वाचक आचार्य श्री विनोद जी महाराज ने कहा—
"गति का अर्थ है स्थान परिवर्तन – जैसे घर से बाजार या ऑफिस जाना, जबकि प्रगति का अर्थ है जीवन में श्रेष्ठ गुणों का विकास – जैसे शांति, सेवा, दया, भक्ति आदि। यदि जीवन में दोष बढ़ें और गुण घटें, तो वह अधोगति कहलाती है।"
उन्होंने कहा—"आज लोग दिनभर गति में हैं, पर प्रगति नहीं हो रही। जैसे मुंबई में लोकल ट्रेनें 23 घंटे चलती हैं, फिर भी लोग बेचैन हैं। असली प्रगति आचरण से होती है, केवल पैरों से नहीं।"
"प्रगति के लिए आवश्यक है उत्तम आचरण। ईश्वर उसी से प्रसन्न होते हैं, जो धर्म का पालन करता है—even यदि उसके लिए तपस्या ही क्यों न करनी पड़े।"
कथा में भक्तजन देर रात तक भक्ति-रस में लीन रहे। पाण्डेय परिवार सहित समस्त ग्रामवासी उपस्थित रहे। क्षेत्रीय श्रद्धालुओं को सपरिवार सादर आमंत्रण दिया गया।
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