स्वयं का कोई विकल्प नहीं, स्वयं को प्रसन्न रखना ही सबसे बड़ा धर्म" – आचार्य विनोद मिश्रा
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By Admin
Published - 19 April 2025 9 views
श्रीमद्भागवत कथा ज्ञान यज्ञ के तृतीय दिवस पर जीवन दर्शन का गूढ़ संदेश
गोरखपुर। कौस्तुभमणि नारायण सेवक पाण्डेय के आयोजकत्व में मलांव ग्राम में चल रही श्रीमद्भागवत कथा महापुराण ज्ञान यज्ञ के तीसरे दिन अवधधाम से पधारे सुप्रसिद्ध कथावाचक आचार्य विनोद मिश्रा जी ने जीवन के विविध पहलुओं पर सारगर्भित व्याख्यान प्रस्तुत किया।
अपने उद्बोधन में उन्होंने कहा, “जीवन शतरंज की भांति है—पहले उठाए गए कदम वापस नहीं होते, लेकिन अगले कदम को बेहतर बनाया जा सकता है। स्वयं का कोई विकल्प नहीं है, इसलिए स्वयं को प्रसन्न रखना ही सबसे बड़ा धर्म है।”
कथा के दौरान आचार्य जी ने द्रौपदी चरित्र, भीष्म और श्रीकृष्ण का अंतिम संवाद तथा राजा परीक्षित की अंतिम यात्रा जैसे प्रसंगों का भावपूर्ण और मार्मिक चित्रण किया। रामचरितमानस की चौपाइयों, दोहों और मधुर संगीत ने उपस्थित श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।
उन्होंने श्रोताओं को संदेश देते हुए कहा, “समय और जीवन दो श्रेष्ठ गुरु हैं—एक हमें समय का सदुपयोग करना सिखाता है, दूसरा हमें जीवन की कीमत समझाता है। जिस जीवन में विनम्रता, आत्मचिंतन और सेवा है, वही वास्तव में सार्थक है।”
इस अवसर पर धरा धाम इंटरनेशनल के मानद कुलपति संत डॉ. सौरभ पाण्डेय जी एवं अंतरराष्ट्रीय बाल व्यास श्वेतिमा माधव प्रिया जी सहित सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित रहे और दिव्य कथा रसपान का लाभ लिया।
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